एक समय की बात है, एक घने जंगल में बब्बू नाम का एक चालाक बंदर रहता था। वह हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता था। एक दिन वह जंगल के किनारे एक गाँव गया और देखा कि लोग दूध बेचकर पैसे कमा रहे हैं। बब्बू को यह तरीका बहुत पसंद आया।
अगले दिन वह जंगल वापस आया और सभी जानवरों से बोला, “क्यों न हम भी एक दूध डेयरी शुरू करें?”
गाय, भैंस, बकरी सब हैरान रह गईं, पर बब्बू की बातों में दम था। सबने मिलकर एक छोटी सी डेयरी शुरू की।
अब बब्बू हर सुबह इंसानों की तरह धोती पहनकर, कंधे पर दूध की बाल्टी रखकर, गाँव में दूध बेचने जाने लगा। वह “दूध लो दूध! ताज़ा और शुद्ध!” चिल्लाता था। लोग पहले तो हैरान हुए, पर जब उन्होंने दूध पिया, तो उसकी मिठास और शुद्धता ने सबका दिल जीत लिया।
धीरे-धीरे बब्बू की डेयरी बहुत प्रसिद्ध हो गई। वह कभी दूध में पानी नहीं मिलाता था और ईमानदारी से काम करता था। गाँव के लोग कहते, “इंसानों से अच्छा तो ये बंदर है!”
सीख:
ईमानदारी और मेहनत से किया गया कोई भी काम छोटा नहीं होता। और अगर नीयत सही हो, तो कोई भी इंसान या जानवर दूसरों के लिए मिसाल बन सकता है।
अगर चाहो तो मैं इस कहानी का चित्र भी बना सकता हूँ — बस बताओ।